Sagarmala Project : सागरमाला परियोजना क्या हैं जाने सम्पूर्ण जानकारी।

Sagarmala Project

Sagarmala Project भारत, जिसकी 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा है और जो प्राचीन काल से ही समुद्री व्यापार का केंद्र रहा है, आज अपनी इसी समुद्री शक्ति को आधुनिक विकास का इंजन बनाने में जुटा है। इस महत्वाकांक्षी दृष्टि की मुख्य धुरी है।

“सागरमाला परियोजना” (Sagarmala Programme)। यह केवल बंदरगाहों के उन्नयन की योजना नहीं, बल्कि भारत के तटीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से रूपांतरित करने का एक समग्र अभियान है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि सागरमाला क्या है, यह क्यों महत्वपूर्ण है और यह कैसे काम कर रहा है। Sagarmala Project

सागरमाला परियोजना क्या हैं 

“सागरमाला” शब्द दो शब्दों – “सागर” (समुद्र) और “माला” (हार) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है समुद्र का हार। यह प्रतीकात्मक नाम भारत के तटीय क्षेत्रों को जोड़ने और उन्हें विकास की माला में पिरोने की कल्पना को दर्शाता है। इसकी शुरुआत अप्रैल 2016 में भारत सरकार द्वारा की गई थी, और इसे जहाजरानी मंत्रालय के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है।

परियोजना का उद्देश्य 

सागरमाला का लक्ष्य केवल बंदरगाहों को चमकाना नहीं है। इसके चार प्रमुख स्तंभ हैं।

  •  मौजूदा 12 प्रमुख बंदरगाहों और 200+ गैर-प्रमुख (छोटे) बंदरगाहों को आधुनिक बनाना, उनकी क्षमता और दक्षता बढ़ाना, और जहां जरूरत हो वहां नए बंदरगाह बनाना।
  • बंदरगाहों को पिछले इलाकों (हिंटरलैंड) से जोड़ने वाली परिवहन व्यवस्था – सड़कें, रेलवे, जलमार्ग और पाइपलाइन्स – को मजबूत और कुशल बनाना। ताकि माल ढुलाई तेज, सस्ती और विश्वसनीय हो सके।
  • बंदरगाहों के आसपास या तटीय आर्थिक क्षेत्रों (CEZs – Coastal Economic Zones) और औद्योगिक पार्कों (पेट्रोकेमिकल क्लस्टर, स्टील क्लस्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क आदि) का विकास करना। इससे निर्यात बढ़ेगा और स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  • छुआरों और तटीय समुदायों के कौशल विकास, आजीविका सुधार और सामाजिक कल्याण पर ध्यान देना, ताकि विकास का लाभ सब तक पहुंचे।

सागरमाला के प्रमुख लाभ – राष्ट्र निर्माण की दिशा में कदम

  •  भारत में माल ढुलाई की लागत वैश्विक औसत से काफी अधिक है। सागरमाला का लक्ष्य इसे कम करना है, जिससे भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। (उद्देश्य: लॉजिस्टिक लागत को GDP का लगभग 18% से घटाकर 10% तक लाना)।
  •  बेहतर बंदरगाह सुविधाएं और कनेक्टिविटी निर्यातकों के लिए प्रक्रियाएं आसान और सस्ती बनाएंगी।
  • बंदरगाहों से जुड़े उद्योगों (जैसे पेट्रोकेमिकल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली) के विकास से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान होगा।
  • परियोजना के निर्माण चरण से लेकर नए बंदरगाहों, कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स और तटीय क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्योगों में भारी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। Sagarmala Project
  • जलमार्गों का बेहतर उपयोग (जो सड़क या रेल की तुलना में कम ईंधन खपत और कम प्रदूषण फैलाते हैं) को बढ़ावा देना।
  • कौशल विकास और बेहतर बुनियादी ढांचे से मछुआरों और तटीय निवासियों की आय और जीवन स्तर में सुधार।

ऑनलाइन आवेदन, पात्रता और दस्तावेज 

सागरमाला परियोजना एक सरकारी पहल है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की परियोजनाएं (बंदरगाह विकास, कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स, औद्योगिक पार्क आदि) आती हैं, जो इस तरीके से हैं। Sagarmala Project

निवेशक/विकासकर्ता

  • प्रक्रिया: सरकार समय-समय पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए टेंडर (निविदाएं) आमंत्रित करती है। ये टेंडर आमतौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे भारत के ई-टेंडर पोर्टल या राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सर्विसेज पोर्टल पर प्रकाशित होते हैं।
  • पात्रता: कंपनियों को आमतौर पर संबंधित क्षेत्र (जैसे बंदरगाह विकास, सड़क/रेल निर्माण, औद्योगिक पार्क डेवलपमेंट) में अनुभव, वित्तीय क्षमता और तकनीकी विशेषज्ञता जैसे मानदंडों को पूरा करना होता है।
  • दस्तावेज: टेंडर दस्तावेजों में विस्तृत आवश्यकताएं होती हैं, जिनमें कंपनी का पंजीकरण, वित्तीय विवरण, तकनीकी प्रस्ताव, अनुभव प्रमाण पत्र, बोली सुरक्षा (बिड बॉन्ड) आदि शामिल होते हैं।

औद्योगिक इकाई (Industrial Unit):

  • प्रक्रिया: तटीय आर्थिक क्षेत्रों (CEZ) या बंदरगाह-लिंक्ड औद्योगिक पार्कों में जमीन आवंटन/पट्टे के लिए आवेदन संबंधित राज्य सरकार की नोडल एजेंसी या बंदरगाह प्राधिकरण के पोर्टल के माध्यम से किया जाता है।
  • पात्रता: प्रस्तावित उद्योग का प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पर्यावरण मंजूरी, वित्तीय व्यवहार्यता, और क्षेत्र-विशिष्ट दिशानिर्देशों के अनुकूल होना चाहिए।
  • दस्तावेज: कंपनी दस्तावेज, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पर्यावरण मंजूरी, वित्तीय स्थिरता प्रमाण, प्रौद्योगिकी विवरण आदि।

कौशल विकास / सामुदायिक पहल (Skill Development / Community Initiative):

  • प्रक्रिया: सागरमाला विकास कंपनी (SDC) या राज्य सरकारें समुदायों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करती हैं। भागीदारी के लिए आमंत्रण उनके आधिकारिक वेबसाइटों या स्थानीय प्रशासन के माध्यम से आते हैं।
  • पात्रता: आमतौर पर तटीय क्षेत्रों के निवासी, विशेषकर मछुआरा समुदाय और युवा।
  • दस्तावेज: पहचान प्रमाण (आधार), निवास प्रमाण, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)।

Sagarmala Project

सागरमाला की आधिकारिक वेबसाइट (sagarmala.gov.in) पर जाकर आप इस योजना से जुडी जानकरी प्राप्त कर सकते हैं। Sagarmala Project

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Conclusion

सागरमाला परियोजना भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने वाली एक महत्वाकांक्षी और परिवर्तनकारी पहल है। यह सिर्फ बंदरगाहों तक सीमित नहीं है, बल्कि तटीय अर्थव्यवस्था को एकीकृत करके, रोजगार सृजित करके और भारत को वैश्विक व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के लक्ष्य से प्रेरित है।

हालांकि पर्यावरणीय चिंताओं और जमीन अधिग्रहण जैसी चुनौतियां हैं, परियोजना की व्यापकता और अब तक की प्रगति आशाजनक है। यदि सतत विकास के सिद्धांतों के साथ सफलतापूर्वक कार्यान्वित की जाती है।

तो सागरमाला वाकई भारत की समुद्री शक्ति को पुनर्जीवित करने और आम आदमी की जिंदगी में समृद्धि लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह भारत को वैश्विक व्यापार के नक्शे पर एक मजबूत और कुशल समुद्री राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक साहसिक यात्रा है।

सागरमाला परियोजना  से जुड़े सवाल – (FAQs)

प्रश्न – सागरमाला परियोजना का बजट क्या है?

उत्तर – पूरे कार्यक्रम में 800+ परियोजनाएं शामिल हैं, जिनकी अनुमानित कुल लागत लगभग ₹5.5 लाख करोड़ है। यह निवेश सरकारी बजट, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और निजी निवेश के माध्यम से आ रहा है।

प्रश्न – क्या सागरमाला से पर्यावरण को नुकसान होगा?

उत्तर – परियोजना के डिजाइन और कार्यान्वयन में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अनिवार्य है। जलमार्गों को बढ़ावा देने जैसे कदमों से कार्बन फुट प्रिंट कम होने की संभावना है। हालांकि, संवेदनशील तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभावों की निगरानी और शमन पर निरंतर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रश्न – आम आदमी को इस परियोजना से क्या लाभ मिलेगा?

उत्तर – लाभ बहुआयामी हैं: सस्ते दाम पर सामान (लॉजिस्टिक लागत घटने से), बेहतर रोजगार के अवसर (निर्माण, बंदरगाह संचालन, नए उद्योगों में), तटीय इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास, और मछुआरों के लिए बेहतर सुविधाएं व कौशल उन्नयन।

प्रश्न –  क्या सागरमाला में निजी क्षेत्र की भूमिका है?

उत्तर – हां, बहुत बड़ी भूमिका है। अधिकांश बंदरगाह टर्मिनलों का विकास, कई कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स और तटीय आर्थिक क्षेत्रों में अधिकांश औद्योगिक इकाइयां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) या सीधे निजी निवेश के माध्यम से विकसित की जा रही हैं।

प्रश्न – क्या इससे विदेशी व्यापार आसान होगा?

उत्तर – बिल्कुल। बंदरगाहों की दक्षता बढ़ने, कार्गो हैंडलिंग समय कम होने और कनेक्टिविटी सुधरने से निर्यातकों और आयातकों के लिए प्रक्रियाएं तेज और कम खर्चीली होंगी, जिससे भारत का विदेश व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।

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